क्या मुलायम सिंह यादव के रहते समाजवादी पार्टी का भाजपा में विलय हो जाता? अपर्णा यादव के बयान से उठे नए सवाल

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा से ही बड़े बयानों और उनके असर की चर्चा होती रही है। इस बार, समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू और वर्तमान में भाजपा नेता अपर्णा यादव ने एक ऐसा बयान दिया है, जो राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा रहा है। एबीपी न्यूज़ के ‘शिखर सम्मेलन 2024’ में अपर्णा यादव ने कहा कि अगर मुलायम सिंह यादव आज जीवित होते, तो संभवतः समाजवादी पार्टी का भाजपा में विलय हो सकता था। उनका यह बयान न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि इसके दूरगामी राजनीतिक संकेत भी हैं।

नेताजी और प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा

अपर्णा यादव का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, “मैं सार्वजनिक मंच पर कहना चाहती हूं कि आदरणीय नेताजी (मुलायम सिंह यादव) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की थी।” यह वाक्य राजनीतिक विश्लेषकों को यह सोचने पर मजबूर कर रहा है कि क्या वाकई मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विचारधारा में बदलाव के संकेत थे। यह बात जगजाहिर है कि मुलायम सिंह यादव, प्रधानमंत्री मोदी की सराहना कर चुके थे, परन्तु इसका अर्थ क्या वाकई पार्टी के मार्गदर्शक सिद्धांतों में बदलाव के रूप में देखा जा सकता है?

अपर्णा यादव 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुईं, और तब से वह भाजपा में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। हाल ही में उन्हें उत्तर प्रदेश महिला आयोग की उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। हालांकि, इस नियुक्ति के बाद वह कुछ दिनों तक नाराज रहीं और पदभार संभालने में देरी की। उनके भाजपा में आने के बाद से सपा के प्रति उनकी धारणा में बदलाव स्पष्ट नजर आया है।

क्या राजनीतिक गठबंधन की ओर इशारा है?

अपर्णा यादव का बयान समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच किसी संभावित गठबंधन के संकेत देता है या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अपर्णा का यह बयान भविष्य के संभावित गठबंधन के संकेत हो सकता है। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि मुलायम सिंह यादव के बिना समाजवादी पार्टी का नेतृत्व उनके बेटे अखिलेश यादव कर रहे हैं, जिनकी भाजपा से मतभेद स्पष्ट हैं।

 

सपा-भाजपा के संबंधों पर पड़ने वाला असर

अपर्णा यादव का यह बयान सपा-भाजपा के बीच जुबानी जंग को और तेज कर सकता है। जहाँ सपा समर्थक इस बयान को अपर्णा की व्यक्तिगत राय के रूप में देख सकते हैं, वहीं भाजपा इसे सपा के संस्थापक की असली विचारधारा के रूप में प्रस्तुत कर सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि समाजवादी पार्टी इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या अपर्णा यादव के इस बयान का राजनीतिक माहौल पर कोई असर पड़ता है।

अपर्णा का सपा से भाजपा तक का सफर

अपर्णा यादव ने 2017 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था, परंतु बाद में 2022 में वह भाजपा में शामिल हो गईं। इसके बाद से उन्होंने सपा के खिलाफ अपनी राय स्पष्ट रूप से रखी है। चुनाव में टिकट न मिलने और नगर निकाय चुनाव में मेयर पद की उम्मीदवारी न मिलने पर भी उन्होंने भाजपा में रहते हुए अपनी भूमिका निभाई। उनकी राजनीतिक यात्रा यह दर्शाती है कि अपर्णा ने अपने ससुर मुलायम सिंह यादव के प्रति श्रद्धा रखते हुए भी अपनी स्वतंत्र सोच को बनाए रखा है।

निष्कर्ष

अपर्णा यादव का यह बयान उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे रहा है। क्या यह सिर्फ एक व्यक्तिगत राय है, या फिर भाजपा और सपा के बीच किसी संभावित गठबंधन का संकेत? यह देखना बाकी है कि अपर्णा यादव के इस बयान का राजनीतिक असर कितना गहरा होता है और क्या सपा-भाजपा के बीच वाकई कोई नया समीकरण बन सकता है।

यह बयान अपर्णा यादव के भाजपा में भविष्य की भूमिका को भी प्रभावित कर सकता है, क्योंकि उनके इस बयान से भाजपा में उनके महत्व को और अधिक बल मिल सकता है।

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