बिना तैयारी उतरे भारतीय दिग्गज, दलीप ट्रॉफी में न खेलना पड़ा भारी?

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भारतीय सीनियर खिलाड़ियों ने दलीप ट्रॉफी खेलने से किया इनकार, चयनकर्ताओं की सलाह पर उठे सवाल

भारत की घरेलू क्रिकेट में दलीप ट्रॉफी का खास स्थान है, और इसे देश के शीर्ष खिलाड़ियों के लिए टेस्ट क्रिकेट की तैयारी का एक महत्वपूर्ण मंच माना जाता है। लेकिन इस साल, भारतीय टीम के कई दिग्गज खिलाड़ियों ने चयनकर्ताओं के आग्रह के बावजूद दलीप ट्रॉफी 2024 में भाग लेने से इनकार कर दिया। इसके पीछे ‘प्रेरणा की कमी’ को वजह बताया गया, जो कि चयनकर्ताओं और प्रशंसकों के लिए चिंता का विषय बन गया है।

न्यूज़ीलैंड के खिलाफ सीरीज़ में खराब प्रदर्शन

न्यूज़ीलैंड के खिलाफ हाल ही में खेले गए तीन टेस्ट मैचों की सीरीज़ में भारतीय टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। भारतीय टीम घरेलू मैदान पर होने के बावजूद न्यूज़ीलैंड के स्पिनरों के खिलाफ संघर्ष करती नजर आई, और बल्लेबाजी का प्रदर्शन भी उम्मीद से कमतर रहा। वहीं, भारतीय स्पिनर भी कीवी बल्लेबाज़ों को आउट करने में खास सफल नहीं हुए। इस खराब प्रदर्शन ने प्रशंसकों को झकझोर दिया और वरिष्ठ खिलाड़ियों के हाल के फैसलों को लेकर सवाल उठे।

दलीप ट्रॉफी में खेलने का चयनकर्ताओं का आग्रह

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय चयनकर्ताओं ने प्रमुख खिलाड़ियों से अनुरोध किया था कि वे आगामी टेस्ट सीज़न से पहले दलीप ट्रॉफी में भाग लें। यह उनके लिए एक अहम तैयारी का मौका होता, जिससे वे रेड-बॉल क्रिकेट की बारीकियों पर फिर से ध्यान दे सकते थे। शुरुआत में सीनियर खिलाड़ियों, जिनमें रोहित शर्मा, विराट कोहली और रविचंद्रन अश्विन जैसे नाम शामिल थे, ने इसके लिए सहमति जताई थी। लेकिन बाद में कुछ खिलाड़ियों ने ‘प्रेरणा की कमी’ का हवाला देकर इस आग्रह को ठुकरा दिया। इसके बाद, चयन समिति ने केवल रविंद्र जडेजा को खेलने के लिए रिहा किया, जबकि अन्य सीनियर खिलाड़ी सीधे बांग्लादेश और न्यूज़ीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ में उतरे।

क्या दलीप ट्रॉफी को नज़रअंदाज करना एक भूल थी?

वहीं, भारतीय क्रिकेट के कई प्रशंसक और पूर्व खिलाड़ी मानते हैं कि दलीप ट्रॉफी में भाग न लेना इन वरिष्ठ खिलाड़ियों के लिए एक चूक साबित हुई। टेस्ट क्रिकेट की बारीकियों में महारत हासिल करने और घरेलू स्पिन पिचों का अंदाजा लगाने के लिए यह टूर्नामेंट एक आदर्श अभ्यास हो सकता था। युवा खिलाड़ियों जैसे शुबमन गिल, यशस्वी जयसवाल, सरफराज खान और वॉशिंगटन सुंदर ने दलीप ट्रॉफी में भाग लेकर अपने खेल को निखारा और सीरीज़ में उनका प्रदर्शन भी प्रभावित करने वाला रहा। इन खिलाड़ियों ने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ सीरीज़ में कम से कम एक महत्वपूर्ण पारी खेलकर यह साबित कर दिया कि नियमित मैच अभ्यास कितना फायदेमंद हो सकता है।

सुनील गावस्कर का बयान और चयनकर्ताओं का विचार

भारतीय क्रिकेट के दिग्गज सुनील गावस्कर ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए। उनका मानना है कि लंबे अंतराल के बाद टेस्ट क्रिकेट में वापसी करना खिलाड़ियों के लिए आसान नहीं होता। गावस्कर ने कहा, “दलीप ट्रॉफी में खेलना इन खिलाड़ियों के लिए बेहद जरूरी था। टेस्ट मैचों के बीच इतने लंबे अंतराल के बाद अचानक से खेल में उतरना कभी-कभी कठिन हो सकता है।” उन्होंने यह भी कहा कि न्यूज़ीलैंड का गेंदबाजी आक्रमण बेहतर था, क्योंकि उनके खिलाड़ी भारतीय पिचों और आईपीएल के अनुभव के साथ उतरे थे, जो भारतीय खिलाड़ियों के लिए चुनौती बन गया।

खिलाड़ियों का भविष्य और संभावित सुधार

यह घटनाक्रम भारतीय क्रिकेट में एक बड़ी सीख हो सकता है। अगर दिग्गज खिलाड़ी घरेलू टूर्नामेंट को प्राथमिकता नहीं देंगे, तो उनके प्रदर्शन में गिरावट आना स्वाभाविक है। चयनकर्ताओं को भी खिलाड़ियों को घरेलू क्रिकेट में शामिल करने के लिए अधिक सख्ती से काम करना होगा। आगामी टेस्ट सीज़न की तैयारी के लिए दलीप ट्रॉफी जैसी प्रतियोगिताओं में भाग लेना भारतीय क्रिकेट के लिए भविष्य में एक अनिवार्य प्रक्रिया बन सकता है।

इस पूरी स्थिति से यह सवाल खड़ा होता है कि क्या भारतीय टीम के वरिष्ठ खिलाड़ियों को दलीप ट्रॉफी जैसी प्रतियोगिताओं में भाग लेना अनिवार्य करना चाहिए ताकि वे अपने खेल को नियमित रूप से निखार सकें और टीम को ऐसी अप्रत्याशित हार से बचा सकें?

 

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