Adani समूह, जो भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साम्राज्यों में से एक है, एक बार फिर विवादों के घेरे में है। अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) और प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (SEC) ने अदानी समूह के संस्थापक गौतम अदानी, उनके भतीजे सागर अदानी और अन्य अधिकारियों पर ₹2,000 करोड़ से अधिक रिश्वत घोटाले का आरोप लगाया है।
रिश्वत कांड: नया खुलासा
2020-2021 के बीच, सागर अदानी ने कथित रूप से सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देकर सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल किए। यह घोटाला “ब्राइब नोट्स” से उजागर हुआ, जो सागर के फोन और व्हाट्सऐप चैट में पाए गए।
“ब्राइब नोट्स” का कंटेंट
किस अधिकारी को कितनी रकम दी गई।
प्रति मेगावॉट की रिश्वत दर।
किन राज्यों (जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़) को ऊर्जा अनुबंध के लिए रिश्वत दी गई।
एक संदेश में लिखा था:
“हमने मंजूरी पाने के लिए इंसेंटिव दोगुना कर दिया है।”
अमेरिकी अभियोजकों का आरोप
अमेरिकी अभियोजकों ने इसे एक संगठित योजना बताया, जिसमें रिश्वत देकर 20 वर्षों में $2 बिलियन का मुनाफा अर्जित करने की योजना बनाई गई थी।
प्रमुख आरोप:
1. धोखाधड़ी और रिश्वत।
2. ऊर्जा अनुबंध में हेरफेर।
3. फर्जी लेनदेन के माध्यम से विदेशी निवेशकों को गुमराह करना।
अदानी समूह की प्रतिक्रिया
अदानी समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “ये आरोप आधारहीन हैं।” समूह ने कहा कि वे कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से अपनी साख को साबित करेंगे।
प्रभाव
1. अर्थव्यवस्था पर असर: अदानी समूह के शेयरों में तेज गिरावट देखी गई।
2. अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर प्रभाव: केन्या सरकार ने अदानी समूह के साथ एक एयरपोर्ट प्रोजेक्ट रद्द कर दिया।
3. गौतम अदानी की साख पर सवाल: यह मामला हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अदानी समूह पर दूसरा बड़ा संकट है।
यह घोटाला अदानी समूह के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि और कॉरपोरेट शासन पर भी सवाल खड़े हुए हैं। अदानी समूह का भविष्य अब कानूनी और सार्वजनिक प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है।