एयर इंडिया द्वारा हाल ही में जारी एक सर्कुलर ने विवाद को जन्म दिया है। इसमें कहा गया है कि एयरलाइन सऊदी अरब के लिए जाने वाली उड़ानों में हलाल मील परोसने पर ध्यान देगी। इस नए निर्णय के बाद से यात्रियों में मुस्लिम मील और हिंदू मील के चयन को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं।
मुस्लिम मील और हिंदू मील क्या हैं?
मुस्लिम मील और हिंदू मील दो विशेष प्रकार के भोजन विकल्प हैं जिन्हें खासकर एयरलाइंस में यात्रियों की धार्मिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए शामिल किया जाता है। मुस्लिम मील में हलाल मीट और कुछ खास मसालों का प्रयोग होता है, वहीं हिंदू मील में अधिकतर शाकाहारी या हिंदू धर्म के अनुसार बनाए गए व्यंजन परोसे जाते हैं, जिसमें बीफ आदि का परहेज होता है।
एयर इंडिया ने क्या किया बदलाव?
एयर इंडिया ने सऊदी जाने वाली सभी उड़ानों में हलाल मील को अनिवार्य किया है। इसके बाद से यात्रियों और सोशल मीडिया पर लोग इस निर्णय पर सवाल उठा रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि यात्रियों को अपना मील चुनने का अधिकार होना चाहिए, जबकि कुछ का मानना है कि एक ही प्रकार का मील देने से विवाद कम होंगे।
क्यों हो रहा है विवाद?
1. धार्मिक भावनाओं का मुद्दा: कई लोगों का मानना है कि एक ही प्रकार का मील सभी यात्रियों पर थोपना ठीक नहीं है, क्योंकि इससे धार्मिक भावनाएँ आहत हो सकती हैं।
2. चुनाव का अधिकार: कुछ यात्रियों का मानना है कि यात्रा के दौरान भोजन के प्रकार का चयन करना व्यक्तिगत पसंद का हिस्सा होना चाहिए। ऐसे में सभी यात्रियों को विकल्प देने की माँग उठाई जा रही है।
3. सुरक्षा और सुविधा: एयर इंडिया का कहना है कि हलाल मील सऊदी जैसे देशों में अधिक स्वीकृत है और यह कदम उनकी सुविधा के लिए उठाया गया है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर इस सर्कुलर पर जोरदार चर्चा चल रही है। कई लोग इसे धार्मिक भेदभाव का मुद्दा मानते हैं, जबकि कुछ लोग एयर इंडिया का समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह एयरलाइन की नीति का हिस्सा है और इसमें विवाद की कोई बात नहीं होनी चाहिए।
एयर इंडिया की सफाई
विवाद के बाद एयर इंडिया ने एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि यह निर्णय यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा रहा है और यदि यात्री विशेष मील का अनुरोध करते हैं तो वे अपनी जरूरत के अनुसार मील विकल्प चुन सकते हैं।
एयर इंडिया का यह सर्कुलर भारतीय यात्रियों के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता का एक मुद्दा बन गया है। यह देखना बाकी है कि एयरलाइन इस पर क्या अंतिम निर्णय लेती है और यात्रियों को किस प्रकार संतुष्ट करने का प्रयास करती है।